हिन्दी कथा-साहित्य के विकास के प्रथम चरण में ही प्रसाद जी ने कविताओं के साथ कथा-साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण किया। उनकी सांस्कृतिक अभिरूचि और वैयक्तिक भावानुभूति की स्पष्ट छाप के कारण उनके द्वारा ……続きを見る
हिन्दी कथा-साहित्य के विकास के प्रथम चरण में ही प्रसाद जी ने कविताओं के साथ कथा-साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण किया। उनकी सांस्कृतिक अभिरूचि और वैयक्तिक भावानुभूति की स्पष्ट छाप के कारण उनके द्वारा ……続きを見る
आज के मनुष्य के समीप तो उसकी वर्तमान संस्कृति का क्रमपूर्ण इतिहास ही होता है; परन्तु उसके इतिहास की सीमा जहाँ से प्रारंभ होती है ठीक उसी के पहले सामूहिक चेतना की दृढ़ और गहरे रंगों की रेखाओं से बीती……続きを見る
उपन्यास अपने समय के नेताओं और स्वयंसेवकों के चरित्रांकन के माध्यम से एक दोहरे चरित्रवाली जिस संस्कृति का संकेत करता और बनते हुए जिन मानव संबंधों पर घण्टी और मंगल के माध्यम से जो रोशनी फेंकता है वह आ……続きを見る